संगीनी / sangini





है राह लंबी,
है वन के साये,
भय राह में आये;
कभी डराये,
कभी भटकाये।

मैं पकङ बांह आपकी;
साथ चलूँ आपके।
मेरे मन को सुकून आपसे;
हे तन को आहें,
मैं संगीनी आपकी, 
चलूँ साथ आपके। 


- कविता रानी। 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ऐ भारत के वीरो जागो / E Bharat ke veero jago

वो मेरी परवाह करती है | vo meri parvah karti hai

सोनिया | Soniya