तुम मिली नहीं | Tum mili nhi
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तुम मिली नहीं
कितनी सुन्दर कितनी प्यारी,
जैसी तुम वैसी तुम्हारी बातें ।
आखों में चमक गालों पर लाली,
जैसे लगती तुम मेरी आली ।।
दुर रह पास का आभास कराती,
तुम्हारी बातें मुझे प्यार दिलाती ।
आभास ही मुझे पास ले जाता है,
मेरा एकांत तुम्हे सोंच कर मिट जाता है ।।
कल्पना कर दिन - रात कटते,
हमेशा मिलने को राह तकते ।
कहे किसे कोई इतना खास कहाँ,
तुम से शुरू बातें तुम पर ही यहाँ ।।
सब कुछ न्योछावर क्यो मैं कहूँ,
एक तुम हो छिपी कहीं दूर हो ।
पलके बंद कर बस खयाल तुम्हारा,
सोंच तुम्हे मन बेसहारा ।।
सुंदरता की चाह बस तुमसे पहले,
तुम मिलती फिर कुछ नहीं ।
रूक जाती जिन्दगी की ख्वाहिशें मेरी,
इसीलिये शायद तुम मिली नहीं ।।
Kavitarani1
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