कर्म पथ पर | Karm path par
अपने कर्म पर ध्यान केन्द्रित कर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने के अतुलनीय अनुभव को सांझा करती एक सुन्दर कविता। इसमें आपको प्रेरणात्मक शब्दों का संतुलित संग्रह मिलेगा।
कर्म पथ पर
अग्नि पथ पर बङ-बङ,
बाधाओं से लङ-लङ,
मैं पथिक सिखता जाता हूँ,
नित कर्म पथ पर बढ़ता जाता हूँ।
हर्ष उल्लास को समेट,
दुख-दर्द को सहेज,
मैं अक्सर नई सिख पाता हूँ,
नित कर्म पथ पर बढ़ता जाता हूँ।
कुछ रोङे आ जाते हैं,
कुछ लोग राह भटकाते हैं,
मैं उन्हें लिखता जाता हूँ,
नित कर्म पथ पर बढ़ता जाता हूँ।
जो मिलकर बन जाते खास,
जो सहयोग करते रहकर पास,
मैं उन्हें मन मंदिर में बसाता हूँ,
नित कर्म पथ पर बढ़ता जाता हूँ।
कुछ कपटी भी भीड़ जाते हैं,
कुछ दुष्ट अनायास दुख दे जाते हैं,
मैं उन्हें भूलता जाता हूँ,
नित कर्म पथ पर बढ़ता जाता हूँ। ।
-कविता रानी।
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