जो तुम पास हो। (jo tum pas ho)
जख्म पुराने सँवर गये।
यादों के पर्दे बदल गये।
छायी थी जो धुल जीवन में।
वो बनकर हवा गयी कहीं वन में।
मैं अब आबाद महसूस करने लगा हूँ।
सादा जीवन जीवन जीने लगा हूँ।
जो तुम आये हो साथ में ।
जो तुम हो पास में।।
मैं नये तराने लिखने लगा हूँ।
नये किस्से,कहानियाँ गढ़ने लगा हूँ।
यादों में सोंचा करता था जिसे मैं कभी।
उसे तुझमें देखने लगा हूँ।
अब वो किरदार साथ है।
ख्वाबों की सारी बात याद हैं।
अकेले में लिखे जो नज्मे-किस्से।
अब वो बस एक राज हैं। ।
भूला ना कुछ-याद नहीं हैं कुछ।
साथ है सब-चाह नहीं ज्यादा अब।
जीवन कुछ आसान लगने लगा है।
सब कुछ सच लगने लगा है ।
यही तो चाहा था सपनों में कभी।
जो तुम पास हो सब अपना लगने लगा है ।
सब सच लगने लगा है।
जो तुम हो पास, जो तुम हो पास।।
-कविता रानी।
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