जिन्दगी | Life

 


Zindagi - click here to see video


ज़िन्दगी 


चोट खाई है कई, दर्द पता है मुझे।

ठोकर लगने का मलाल पता है मुझे।

हार कर कई बार बैठा हूँ मै।

धोखे कई खाकर बैठा हूँ मैं।

मुझे ना समझाओ ऐ दुनिया वालों;

की क्या होता है खोने का डर।।

मुझे ना बताओ ऐ दुनिया वालों।

कि क्या होता है अपनों का फर्ज। 

हर अपने को पराया पाया है मैंने।

हर अपने खास से दोखा खाया है मैंने।

अब दर्द नहीं खोने का,

ना पाने की ज्यादा खुशी।

जिन्दगी चले अपनी धुन में,

बस यही कमी।

मन की करुं,

मै करुं अपनी।

चलती रहे जीवन की ये हस्ती।

मुझे ना सिखाओ ऐ दुनिया वालों,

क्या है जिन्दगी?

मुझे ना सिखाओ ऐ दुनिया वालों,

क्या है बन्दगी?


-कविता रानी।



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वो मेरी परवाह करती है | vo meri parvah karti hai

सोनिया | Soniya

फिर से | Fir se