मिट्टी में मिला देंगे
मिट्टी में मिला देंगे
वीर सपुतों की माटी में कायर नी जन्में हैं।
लगता है कई शत्रु सोंचते हम भी अन्धे है।
वक्त की नजाकत समझ दुश्मनों को जो श्रय देते हैं।
कान खोल कर सुनले जो बिन भय के लेटे हैं।
मिट्टी में मिला देंगे, जो माटी के बैरी बन ऐंठे है।।
ये वीर भूमि है बस वीरों की, यहाँ कायर नहीं जन्मतें हैं।
बस माँ भारती के संस्कारों से ही भोले भाले लगते हैं।
पर भूल कर भूल ना पाये दुश्मन , कि किस आंचल का हमनें दुध पिया।
माँ चंडी और माँ काली का हर पल ध्यान किया।
हम नृत्य करके भी दुश्मन को सहमा देते हैं।
एक पल भी हमें गलत समझनें की भूल ना करना।
मिट्टी में मिला देंगे, जो माटी से हमारी बैर किया।।
ये भूमि है रणबांकुरो की, राणा की, शिवाजी की।
इसपे जो किसी ने भी कभी वार किया।
भूल कर भूल ना पाये दुश्मन कैसे उसका वीर काल बना।
राणा की जो तलवार चली, दुश्मन घोङे सहित दो फाङ हुआ।
आज भी हम रगो में वही उभाल रखते हैं।
शांत है, शांति का मार्ग रखते हैं, पर जो दुश्मन के साथ बैर हुआ।
मिट्टी में मिला देंगे, यही उदगार हुआ।।
जय माँ भारती। जय हिंद।।
- कविता रानी।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें