बस जीया जाये




बस जीया जाये 


 जब कोशिश बार-बार नाकाम हों।

हम चढ़े ऊपर और निचे गिरना आम हो ।

कोई युक्ति शक्ति ना दे पाये।

सपनों की मंजिल को पाने को जी मचल जाये।

हिम्मत हारी नहीं, ना होंसला छोड़ा हो।

पर हालातो के आगे जब खुद को विवश पाया जाये।

ऐसे में कुछ ना कर,बस जीया जाये। ।


एक वक्त आता है जब राहें खुली मिलती है। 

जो सोंचा वो पाने की चाह,राह पर बढ़ती है। 

कोई रुकावट बड़ वहाँ नहीं दिखती है। 

उस वक्त के लिये ही अभी कुछ रुका जाये। 

कुछ छोटे मोटे काम पड़ उन्हें पुरा किया जाये। 

अभी बस जीया जाये। ।


सब अपनी मर्ज़ी का होता है। 

जो सोंचा वैसा ही मिलता है। 

सिद्त से चाह  और मेहनत का पैमाना देखा जाता है। 

श्रध्दा के साथ आशीर्वाद काम आता है। 

निश्चल,आत्मविश्वास से कर्म किये जाये।

अभी बन ना पा रही राह तो ना घबरायें।

जो चल रहा उसे बेहतर किया जायें।

और बस जीया जाये। ।



-कल पुरे होते सपनों के लिये, आज को बेहतरीन जीने पर एक सुदर कविता 


Kavitarani1 

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