चलता रह रस्ते-रस्ते / Chalta rah raste-raste
चलता रह रस्ते रस्ते- वीडियो देखे
पथिक के रास्ते मनमोहक और मनोरंजन भरे है, उसे मस्त होकर अपने राग में व्यस्त होकर चलना चाहिए। यह कविता पथिक के संबोधित करते हुए उसे अपनी धुन में बिना विचलित हुए चलने को प्रेरित करने के लिए है।
चलता रह रस्ते-रस्ते
ओ रे बावरे मन ।
फिर ना तु रस्ते-रस्ते ।
ठहर जा तु कुछ घड़ी ।
थाम ले घड़याँ सारी ।
थाम ले सब हॅसते-हॅसते ।
ओ रे बावरे मन ।
फिर ना तु रस्ते-रस्ते ।।
कौन घड़ी जाना है ।
मरना है जहाँन से ।
कौन घड़ी मिट जाना ।
रह जानी है राहे ।
भूल जा सब तू ।
भूल ना रास्ते ।
जाना है मंजिल को ।
जाना है हँसने -हँसते ।
ओ रे बावरे मन ।।
वो लोग जो हँसते थे ।
कसते थे फबकियाँ तुझ पर ।
रह गई अतित में सब ।
सब रह गई अकाल में ।
कल वो बित गया ।
बित गई घड़ियाँ सारी ।
भूल सारी बातों को ।
आ चल दूर कहीं ।
ओ रे बावरे मन ।
मन था हँसते-हँसते ।
जाना है दूर तुझे ।
जाना है इसी रस्ते ।।
देख ना सपने ज्यादा ।
जी ले इन घड़ियो को तु ।
जी ले सब को ।
चलते-चलते हस्ते-हस्ते ।
ओ रे बावरे मन ।
सुन ले हँसते-हँसते ।
जाना है दूर तो ।
रूक जा कहते-कहते ।
सुनता कौन यँहा पर ।
हर कोई कहता है ।
बस अपनी गाता जग ।
अपनी ही सुनता जग ।
अपनी ही चुनता है ।
सुने जिसको, तुझे बनना है वो ।
जाना है मंजिल वो ।
चलता रहे हँसते-हँसते ।
तेरे से जुडे सब ।
तेरा नाम लेते है ।
तुझको चुनते है ।
भूल कर मेरा संघर्ष ।
तेरा नाम जपते है ।
जाना है साथ तेरे ।
लोग यही सुनते है ।
ओ रे बावरे मन ।
सुन ले हँसते-हँसते ।
जाना है दूर तो,
चलता रह रस्ते -रस्ते ।।
Kavitarani1
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