चल रहा हूँ | chal rha hun main
चल रहा हूँ
आखों में सपने लेकर, दिल में प्यार बसाकर ।
मैं धुनी बनाकर कल की, लो जलाकर सपनों की ।
चल रहा हूँ मैं अकेले ही, जल रहा हूँ खुद ही ।।
खुली बाहें मुझे पसंद नहीं, बेवजह मिलना जमता नहीं।
आसमान का रंग मुझे भाता है, कभी कुछ समझ नहीं आता है।
ये दिल मेरा बेरंग अब, नयन मेरे सुने सब ।।
कहाँ जाऊँ ठोर नहीं, दिल मेरा कहीं लगता नहीं ।
लगा जहाँ कभी हुई कदर नहीं, बेकदर रहा नहीं।
लापरवाह कभी दुखी हूँ मैं, परवाह में खुद दुखी हूँ। ।
दिल में प्यार लेकर चलता रहूँ, मिले कोई खिलता रहूँ ।
बाहें मेरी खुली जग के लिये, मैं जग के लिये खुला हूँ ।
मैं आगे बढ़ने को चल रहा हूँ, मैं आगे चल रहा हूँ ।।
Kavitarani1
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