छिपाया करो | chupaya kro
छिपाया करो
मेरे मन की ये जिद् है कि तुम जिद् ना करो ।
चल रही जिन्दगी कि तुम दखल ना करो ।
हँस रहा हूँ मैं हँसी को चुराया ना करो ।
बातें बहुत है बताने की कि कुछ छुपाया करो ।।
यूँ तो दाग है चाँद पर कहते सुन्दर उसे ।
झरने भी टकराते जाते सागर में पर साथ चाहते उसे ।
पहाडों पर भी वास मुमकिन नहीं पर सब देख उन्हें खिलते है ।
वैसे तुम भी बस सुन्दरता दिखाया करो ।।
मेरी बात को समझ सको तो समझा करो ।
खुब है बातें कहने को और कहा करो ।
हॅसती हो रोज अपनी दुनियाँ में हॅसा भी करो ।
पर जो हॅसी मन को ना भाये उसे छुपाया करो ।।
खुब लम्बी है जिंदगी और से जिंदगी का सफर ।
मिल सको तो हमसे भी आ मिला करो ।।
खुब हो अपनी जिंदगी में तुम खुब ही ।
कुछ समय हमारे नाम किया करो ।।
मेरे मन की जिद् का मान रख लिया करो ।
एक ही जिंदगी है ऐसे सताया ना करो ।।
तुम से आ लगा है मन जाने कैसे मेरा ।
मेरे मन की जरा लाज रख लिया करो ।।
अच्छी चल रही है जिंदगी तुम्हारी माना ये ।
पर हो सके तो सब बताया ना करो, कुछ छिपाया भी करो ।।
Kavitarani1
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