कागज की दुनिया | Kagaj ko ye duniya
कागज की दुनिया
कागज की ये दुनिया, दुनिया ये कागज की ।
हाथ लगे मैली होये, मैली होये दूर रखी।
कागज की ये दुनिया, दुनिया ये कागज की ।
घड़ी कर जो पास रखे, घड़ी बिगड़े इसकी ।।
मटमेली ये दुनिया, दुनिया ये मन मैली।
साफ दिखे ऊपर से जितनी, साफ रहे अन्दर उतनी ।
कागज की ये दुनिया, दुनिया ये कागज की ।
बुँद छुए पानी की, गल जाये लगे जो पानी ।।
कुछ मन का आया बनाया, बनाया मन का ।
पुछ रहा मन मेरा, क्यों मन बना भाया ।
कुछ नाव बनायी थी, थी गई बह बह दरिया ।
कागज बिखर सा आगे, मिट गई नाव उस दरिया ।।
जो भी बनाया गल गया, जो भी लिखा मिट गया ।
मिट गया जो समय गुजारा, गुजर गई वो दुनिया ।
माटी की थी ये दुनिया, बह गई बर्खा ये दुनिया ।
याद आया कहना फिर से, ये है बस कागज की दुनिया ।।
कागज की ये दुनिया, दुनिया ये कागज की ।
नाव बनायी गल गई, लेख बह गई दरिया ।
कागज की ये दुनिया, दुनिया ये कागज की ।
समय पल कुछ साथ देती, मिट जाती ये दुनिया ।।
Kavitarani1
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