मैं तारे गिनता | Tare ginta | stars count



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मैं तारे गिनता 


लोग मिलते सफर में, सफर माहौल लगता ।

सब गाते अपनी धुन, धुन में मौसम लगता ।

मैं देखुँ लोग जमाना, जमाना ना जगता ।

शाम बैठ -कर आसमां तकता, तारे गिनता ।।


रंग बिरंग सारे, लगते कितने प्यारे ये ।

सारे अपने, लगते सब सितारे ये ।

कोई कम नहीं अपनी जगह, है बहुत सारे ये ।

मैं बैठ इनकी संगत करता, तारे गिनता ।


छोड़ जाते लोग दिन-भर, भूल भी जाते ।

देख -दिखावा करते, या दिखावे से आते ।

आसमां के प्यारे ये, है कितने सच्चे सारे ये ।

मैं इनको अपना साथी कहता, तारे गिनता ।।


दिन की थकान भूलाते, कल का गम भूलाते ।

अपनों से मिला गम भूलाते, गैरो को परे कर जाते ।

ले जाते अपनी दुनिया, अपने जग में घुमाते ।

जब भी छत पर बैठ अकेले मैं तारे गिनता ।।


कोई चमक रहा बहुत ज्यादा, कोई कम चमकता ।

कोई मन मोहता, कोई लगता मुँह मोड़ता ।

नजरों के सामने से आते जाते, ये गीत अपना गाते ।

मैं देखता इनसे मिलता, बैठ अकेले मैं तारे गिनता  ।।


आसमान में प्यारे ये, मिलते कितने सारे ये  ।

मैं सबको अपना कहता, मैं बैठ अकेले तारे गिनता  ।।


Kavitarani1 

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