क्या कभी.....


क्या कभी- वीडियो देखें


 क्या कभी.....


अल्हड़पन, बचकानियाँ, शैतानियाँ, 

कुछ किस्से और कुछ कहानियाँ।

वो सब जो जीये साथ हम,

कई बार बैठ अकेले, लम्हे जो सिये हम,

क्या कभी सर्द ऋतु में ओढ़ उस स्वेटर को,

या पहन सिर पर मेरे मफलर को,

याद आता हूँ मैं ?

क्या कभी याद आता हूँ मैं ?


पहली बारिश में भीगना, 

फिसलना घाँस के गढ्ढो में, 

उछलना किचड़ में,

कुदना कुएँ में और साथ नहाना।

वो बाहर पिकनिक पर जाना,

भूली बिसरी पगदण्डी पर इठलाना, 

इतराना अपने अदांज में,

और मुझे दिखाना खास ये।

क्या ये सब दिख जाते है ?

यादों के साथ नजर आते है,

और इन किस्सों में, 

अपने गुजरे जीवन के हिस्सों में  ,

मैं याद आता हूँ ?

क्या कभी मैं याद आता हूँ ?


चलो छोड़ो प्रश्न नहीं करता हूँ ।

मैं अपनी ही कुछ कहता हूँ  ।

पर तुम हो कहाँ ? सुनाऊँ कैसे ?

हाल अपने मैं बताऊँ कैसे ?

जैसे मैं ढुँढता तुम्हें फिरता हूँ ।

अपने मन में तुम्हे हरता हूँ ।

और लम्हें वो याद करता हूँ ।

क्या कभी तुम भी ऐसा करते हो ?

क्या तुम भी मुझे याद करती हो ?


क्या तुम्हे याद आता है,

कि कैसे हम आह भरते थे,

मिलते ही दर्शन की कहते थे,

गोद में सिर रखने को लड़ते थे,

और गले लग सब भूल जाते थे,

कुछ कहे बिन कुछ वादे थे,

अपने एक होने के इरादे थे,

अब बस ये यादें हैं ।

कहने को कुछ ही बातें है ।

पर सुने लम्हों में कल आ जाता है ।

जीवन का सुनहरा काल याद आता है ।

जैसे मुझे ये झलकियाँ ठकराती है ।

और कभी थोड़ी ही पर याद आ जाती है ।

क्या कभी तुम्हारे साथ भी ऐसा होता है ?

क्या कभी तुम्हे भी ये यादें आती है ?

क्या कभी तुम्हे मेरी याद आती है ?

क्या कभी तुम्हे मैं याद आता हूँ  ?

क्या कभी...


Kavitarani1 

138

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ऐ भारत के वीरो जागो / E Bharat ke veero jago

वो मेरी परवाह करती है | vo meri parvah karti hai

सोनिया | Soniya