गूढ़ सत् | Gud sat
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गूढ़ सत्
सत् -सत् जप बस,
रूस एक सच पिया नही जाता ।
राम-राम भज बस,
राम एक सहा नहीं जाता ।।
हिन्द-हिन्द कहे बस,
हिन्द एक समझ नहीं आता ।
धून -दूर भजे बस,
दूर एक पल चल रहा नहीं जाता ।।
मिठे-मिठे बोल बस,
मिठा एक खाया नहीं जाता ।
तिखे-तिखे दिखे बस,
तिखा एक दिन रहा नहीं जाता ।।
शुल-शूल देखे बस,
शुर एक पास नहीं भाता ।
सुर-सुर ढुंढे बस,
सुर एक समझ नहीं पाता ।।
अंध-अंत तप बस,
अंध एक जिया नहीं जाता।
मंद-मंद रम बस,
गंद एक मन नहीं भाता ।।
सत्-सत् जप बस,
सत् एक समझ समय गुजरता जाता ।।
Kavitarani1
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