हम वही सताये हुए रहे | Hum vahi sataye hue rahe




हम वही सताये हुए रहें 


महफिलें विरान,

फिर से परेशान, 

हम वही गम खाये हुए, 

हम वही सताये हुए रहे फिर ।


वो कल ही मिली थी,

जिसकी खुब तारीफें की थी,

वो जो लगने लगी ही थी अपनी,

फिर हुई अनजान,

हम समझ भी ना सके,

हम समझ भी ना सके फिर,

क्या हुआ गुनाह ?

क्या रही बात ?

बस रह गये अकेले, 

हम फिर से उन्ही में अभी,

 वही सताये हुए ।


गये जो उनका गम नहीं, 

इच्छायें जगी बात वही,

वही रास्ते अलग हुए, 

जो जीवन भर साथ रहने वाले से मिले थे,

छोड़ गये हमें कर किसी के लिये कुरबान,

हम बैठे यूँ ही गम खाये हुए, 

हम वही सताये हुए  ।।


Kavitarani1 

289

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

फिर से | Fir se

सोनिया | Soniya

तुम मिली नहीं | Tum mili nhi