मैं बैठा हूँ | main betha hun




मैं बैठा हूँ 


मैं बंद पलको को कर बैठा हूँ ।

अपने ख्वाबों को समेट बैठा हूँ ।

रंगहीन दिख रहा सबको मैं ।

अपने अंदर इंद्रधनुष छुपाये बैठा हूँ ।।


ख्वाहिशें दबाये बैठा हूँ ।

सपने सजाये बैठा हूँ ।

मैं बारिश को रोके हूँ ।

मैं बसंत को रोके बैठा हूँ ।।


कुछ गुलाल छुपाये रखी है ।

पानी में रंग घुलाये बैठा हूँ ।

मैं साफ कपड़े रखे हूँ ।

मैं तुम्हारे इंतजार में हूँ ।।


 बंद कमरे में ही बैठा हूँ ।

जग से खुपा बैठा हूँ ।

अपनों से दूर रूका हूँ ।

मैं अपनी होली छुपाये बैठा हूँ ।। 


कुछ पल अद्भूत रखे है ।

सपने रंगीन बनाये रखें है ।

तस्वीर खुशनुमा रखें हूँ ।

मैं तेरे लिये रूका हूँ ।।


मैं तारे सारे छुपाये बैठा हूँ ।

अँधेरे में छुपा बैठा हूँ ।

कोई देख ना ले इस होली ये ।

तेरे लिये रूका बैठा हूँ ।।


Kavitarani1 

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