मुझे तुम बहुत भाती हो | mujhe tum bahut bhati ho



मुझे तुम बहुत भाती हो 


मेरी छोटी मोटी बातें सुन ।

मुझसे रोज जुङ जाती हो ।

अपने बचकाना अंदाज में ।

खिलती हो और मुस्काती हो ।

बहुत सारों को जानता हूँ मैं ।

पर तुम मुझे बहुत भाती हो ।।


सच पर अङी रहती हो ।

मिठे बोल बोलती हो ।

परेशान रहूँ मैं जब भी ।

समाधान बन आती हो ।

एकान्त मुझे है भाता जैसे ।

वैसे तुम बहुत भाती हो ।।


विश्वास बनाये रखती ।

कभी चिढ़ती चिढ़ाती हो ।

रिश्ता नहीं खुन का अपना ।

पर रिश्ता अटूट बनाती हो ।

कुछ ही लोग है खाश मेरे ।

तुम उनमें एक अनौखी बन जाती हो ।।


भीङ बहुत है मेरी दुनिया में ।

पर मुझे तुम बहुत भाती हो ।।


-कवितारानी। 

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