सवालों में क्यों | savalo mein kyon
सवालों में क्यों ?
सवालों के घेरों में, बैठे हैं वो ढेरों में।
अपनी माटी पाक साफ बताते, दुसरों पर लाछन लगाते।।
क्यों ना कहे दोगले तुमको, जब खुलकर ना बोलने देते हमको।
अपनी ही राग अलापते, बेचारे बन धाप डकारते।।
सवाल तभी किया होता तुमने, जब-जब सवाल सबमें होता हममें।
तो ना आज नफरत से भरते, तुम भी भारत माँ की जय कहते ।।
जब जीत रहा था भारत मेरा, तुम मायुस क्यों होते ।
जब हार रहा दुश्मन से, तो घर आंगन क्यों खिला होता ।।
जब पत्थर फेंक सिपाही था घायल होता, तब भी रोना होता ।
जब दुश्मन बंद महीनों रखता, तब भी दम घूटा होता ।।
खुलकर तारीफ़ कभी देश की हमेशा जो तु करता ।
तो आज सवालों के घेरे में ना आकर खङा होता ।।
अब पूछ रहा हूँ तो ये भी बतलाओ तुम ।
धर्म के नाम पर दुसरों की धर्म प्रचार से क्यों चिढ़ जाते तुम ।।
अपनी गिरबान में जो तू झाँक लेता ।
समय रहते अपनों में कमियाँ ढूँढ लेता तो ना ऐसा होता ।।
जवाब देकर बचना आता है, सवाल पर सवाल करना आता है ।
पर कभी धर्म से बढ़कर देश कहा होता, तो सवालों के घेरा में ना होता ।।
अब भी जिसकी खाओ खुलकर गाओ तुम, बस नफरत मिटाओ तुम ।
ये भारत देश तुमसे-मुझसे है, धर्म की आग ना लगाओ तुम ।।
-कवितारानी।

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