एक और मौका / ek oar moka

 


एक और मौका


आगे बढ़ने की चाह में आज बरबाद हुआ,

हर पल सोंच कल की सताती, हर दिन पुराना हुआ।

हर साँस में बैचेनी बढ़ने अब लगी,

आज का आलम हर कल की दस्तक देता है,

आज का बिताया दिन कल की सुरत दिखाता है,

नाकामी की एक और मिशाल जोङ मैं चला,

जीवन के सफर में एक और असफलता जोङ में चला।

जाने कौन सा मुकाम सोंच रखा ऊपर वाले ने,

आज फिर पिछे रहने का ङर सताता है,

क्या पता कौनसी मंजिल मिलेगी मुझे,

कौन जाने कहाँ होगा ठिकाना मेरा,

मुझे बस चैन के दो पल चाहिए,

जीने को मुझे बस प्यार चाहिए,

सुकुन ना मिले तो भी जी लेंगे,

पर इस बेदर्दी दुनिया में जीने को एक यार चाहिए।

अब अकेले घुटने लगा है दम मेरा,

हर पल का हाल सुनाने को दिलदार मिले मेरा,

उसकी खातिर काट लेंगे जीवन बाकि,

और ना ज्यादा ख्वाहिशें होंगी बिन साकी,

चैन के लिए एक नौकरी ढुँढता हुँ,

इस उलझन भरे जीवन में एक दो पल अपने चाहिए।

चलो एक और बार मौका दो मुझे,

मैं ज्यादा नहीं बस दो पल चाहता हूँ।

जिन्दगी का सुकुन चाहता हूँ,

ना दौलत की भुख रखता हूँ,

ना शौरत की चाह रखता हूँ,

मैं तो बस प्रेम सुकुन की आस रखता हूँ।

जीवन में शांति की प्यास रखता हूँ,

मुझे जीने का मौका दो,

मुझे एक और मौका दो।।


-कवितारानी।




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