बचपन की यादें / bachapan ki yadein / Part-1
मेरे मित्र के साथ बचपन की यादें
part-1
कुछ यादें सजायी है मैंने,
कई पलों को संजोया है।
अपनी यारी पे बीते दिनों को,
इन पन्नों पर उकेरा है।
रुठना मनाना कम रहा,
बातों का कारवां चलता रहा।
चलते-चलते यहाँ तक आ गये,
तुम नये दोस्तों से मिल गये।
कितना कुछ जी लिया हमनें,
साथ रहकर क्या कुछ ना किया हमनें।
इन्हीं कुछ पलों को याद दिलाता हूँ,
चलो में तुम्हें अपने बचपन की सेर कराता हूँ।
कितने मासुम थे हम,
दुनिया से अनजान खुद में मस्त थे हम।
दोस्ती यारी सब से थी अपनी,
बात निराली थी अपनी।
जब कभी गाँव की गलियों में आये तुम,
मिलकर पहले मुझे मित्र कहलाये तुम।
ले चलते थे हम सब को नये माहौल में,
खुब रंग घोलते थे हम अपने माहौल में।
कितनी कच्ची केरियों का कत्ल हुआ,
पत्थरों ने अपने कितने पेङो को जख्म दिया।
याद है हमनें चोरियाँ बहुत की,
कभी कंद, गन्ने की तो पपीता की चोरी की।
पकङे जाते तो छोङ दिये गये हमेशा,
कितने अच्छे चोर हुआ करते थे हमेशा।
वो बेवजह खेतों खलिहानों की हमनें सेर की,
मधुमख्खियों को दंश खाये पर शहद की मौज की।
क्या खुब दिन थे वो,
कितने अच्छे दिन थे वो।
ना कल की फिक्र हुआ करती थी,
ना कल की याद आती थी।
जब भी तुम आते आधी रातें हुआ करती थी,
हर दिन पल भर से गुजरते थे।
ऋतुओं का क्या खुब कहना था,
सर्दी का आलाप ठहाकों में बात होती थी।
हर ठिठुरन भी मस्त गुजरती थी,
जब हम साथ होते क्या बात हुआ करती थी।
गर्मी की रातों मे शतरंज का मजा था,
रात गुजर जाती पर डर ना था।
वो लू के थपेङे भी अहसास ना करा पाते,
दुःख है या आग कुछ समझ नहीं पाते।
अपनी धुन में मस्त हमनें कितने साल गुजारे हैं,
हर बरसात में भीग-भीग कर बरस गुजारे हैं।
याद है वो रोज कुए पर जाना,
मन ना हो पर खुब नहाना।
हर दिन हम नये कारनामें किया करते थे,
जब भी मिलते भविष्य के सपनें बुना करते थे।
तेरे बंगले की डिजाइन आज भी याद है,
मेरी लक्जरी कार का आज भी इंतजार है।
आज भी मुझे अपना बचपन हॅस के याद है,
क्योंकि उन पलों में मेरे दोस्त का साथ है।
तुम्हारे आने से एक खुशी का अहसास होता था,
सारे गम भुल के बस घुमने मजे करने का भाव होता था।
वो हमेशा शाम को बिरला मंदिर जाना हो,
या वो हर सुबह कुए की सेर हो।
वो हर लम्हे को कैमरे में कैद करना हो,
या वो हर बात पर बहस जो अपनों से हो।
ये सब अहसास कराती है,
मेरे दोस्त को मेरे पास लाती है।
बचपन की और बातों को याद दिलाता हूँ,
कुछ अनसुना तुम्हें सुनाता हूँ।
याद है तुम्हें हम पार्टियाँ किया करते थे,
जब जम जाये सामान उठा के चल दिया करते थे।
मुझे वो पल सबसे अच्छे लगते थे,
अपने साथी, अपने लोग जब साथ हुआ करते थे।
मन करता है की ये पल यूँ ही चलते रहे,
हम सब साथ बैठे रहे घुमते रहे।
ना घर का जाना हो कभी,
ना समय का बहाना हो कभी।
कभी इस ठोर चल पङे घूमते फिरते,
कभी किसी और जगह चल पङे मौज करते-करते।
बङा अच्छा होता हम बचपन में ही होते,
ना इतने मन के दुखङे होते, ना कल के दुखङे होते।
छोङ देता हूँ उन बुरे लम्हों को मैं,
कभी लङे हो अपने या मन रुठा हो अपनों से।
वो लम्हे इतने बुरे नहीं अपने साथ,
क्योंकि मेरे दोस्त का मन था हमेशा साफ।
कई बार मैं बिगङा था याद है मुझे,
पर तुम बिगङे सम्भाल लिया मुझे।
रुठने में जहाँ मैं माहिर हुआ करता हूँ,
मनाने में तुम सातिर हुआ करते हो।
जहाँ मुझे गुस्सा जल्दी आ जाया करता है,
वहीं तुम्हें गुस्सा शांत करना आता है।
बङे शांत चित्त सम्भले हुए रहे तुम,
दोस्त बनके खुशी के बहुत लम्हें दिये तुम।
छोटा सा संसार था मेरा,
कुछ खास और दगाबाज दोस्तों का साथ था मेरा।
अपनों से ना अपनापन हुआ कभी,
दोस्तों से सिख मिली थी हर कहीं।
तुमनें कई रिश्ते साथ थे दिये,
अपने मुझे और मुझे अपना कर जीये।
आज भी उन रिश्तों में दोस्त तुम्हें याद करता हूँ,
तुम्हें साथ पाकर अपनापन सा महसुस करता हूँ।
चलो कुछ मस्ती वाले लम्हे याद दिलाता हूँ,
बचपन से अब तक के फिर कुछ पल बताता हूँ।
याद है भाई कभी त्योहार अकेले ना जीये हम,
होली, दीवाली, राखी, जन्माष्टमी को कितना मजा किये हम।
हर त्योहार एक नया माहौल बनाता था,
उन लम्हों को हमनें फोटो में संजोया था।
हर दिवाली दीप जलाते थे हम,
हर घर, मंदिर जाकर दीप जलाते थे हम।
उन पटाखों की गुंज आज भी याद है मुझे,
पटाखों संग हुई कई मुलाकातें और बातें याद है मुझे।
एक महफिल सी सजाकर बैठते थे हम,
कभी पुङी-पकवान, कभी यूँ ही मजे करते थे हम।
होली के क्या कहने थे,
फटेहाल रंग किचङ मङते थे।
कोई छुट ना पाता था अपनी रंग गुलाल से,
चीर देते वस्त्र तो कहता ना मलाल से।
हर जन्माष्टमी पर मंदिर सजाये हैं,
हर जगह घूम कर झाँकियों को महकाये हैं।
कितनी मस्त रातें थी वो,
कई बार पुरी रात नाचे जो।
अपनी राखियाँ भी महफिलों में मना करती थी,
कितनी सारी बातें यूँ आ जाया करती थी।
हर बार सब साथ जब हम होते थे,
कई पार्टियों का प्लान यूँ ही करते थे।
अपना भी क्या रुबाब हुआ करता था,
बिन शराब नशा मस्ती का चढ़ा करता था।
हमारी पार्टियों में एक सादगी मैंने देखी है,
शांत महौल में भी दिल की मैल झौल देखी है।
हॅसी मजाक का क्या कहना है,
दिन गुजर जाता और जाता और मौज में रहना है।
बाइक पर मौज करते हम जब घूमनें चले,
सब ने मिलकर कितने हुल्लर किये।
ना बङा ना छोटा सब मस्त मगन थे हम,
प्यार से लङना खाना पीना बङे लगन से करते हम।
पैसों का, ऊँच-निच का हमने कभी हिसाब ना रखा,
एक मुड बनाया उसे सजा के चल दिये हम।
याद आते है वो पल जब सब बच्चे थे हम,
अपनी मौज खुुशियों की खोज में थे हम।
कोई योजना नहीं ना ही कोई मकसद था,
निकल पढ़ते कुछ पल में जो कुछ सोंचा था।
सोंचते समझते उससे पहले बङे हो गये,
आज तुम सहरे पर और नये मित्र से जुङ गये।
दोस्ती अपनी सदासय है,
मन में आया बताऊँ क्या जीया है।
सुखी जीवन की कामना से शुभ आशीष मेरा तुम्हें,
खुश रहना जीवन में शुभ कामना है।
ईश्वर का आशीर्वाद अपने मित्र के लिये मांगता हूँ,
ध्यान रहे मित्र में सुदामा सा तेरा, तेरे आने की बाट निहारता हूँ।
अपनी बातें अपने मन में रख अब शब्द बना दिये हैं,
कद्र करना भावनाओं की ये लब्ज लिखता हूँ।
खुशियाँ दुर्लभ इस निर्मोही संसार में,
अपना कोई सगा नहीं इस नश्वर संसार में।
आये अकेले जाना अकेला बस मुसाफिर है सब,
कुछ खास बनते दिल के. कुछ अपने होते हैं बस।
मेरे मित्र तुमसे रहा सबसे ज्यादा दोस्ताना मेरा,
एक थाली में खाके बिताया कई जमाना।
इन्हीं जमानों के पन्नों में कुछ और अर्ज किया है,
साफ दिल होकर अपने भावों को लिख दिया है।
चलो फिर से कुछ लम्हों को याद दिलाता हूँ,
तुम भूल ना जाओ मुझे इसलिये समझाता हूँ।
याद है वो दिन जब गर्मियाँ तुम्हें लाती थी,
हर छुट्टियों में मेरे गाँव की मिट्टी तुम्हे बुलाती थी।
उस मिट्टी से हमनें क्या-क्या ना बनाये,
कभी बस से ट्रक कभी गाढ़ी बैल सजाये।
क्या खुब मगन हो जाते थे हम,
अकेले बैठ चार दोस्त एक गाँव बना देते थे हम।
वो मिट्टी के लोग और खैत याद आते है मुझे,
वो पगदण्डियाँ और गाँव याद आते हैं मुझे।
कितना प्यारा लगता था जब हम उसमें गंभीर होते थे,
लगता था जैसे रब सी ताकत है आ गई हममें।
कठपुतलियों से लोगों को नचाते थे हम,
मन भर जाने तक खैला करते थे हम।
आखिर खुद ही उस गाँव को तबाह कर जाते थे,
कभी अगले दिन की सोंच उसे छोङ जाते थे।
दिन भर की मस्ती और थकान भी साथ काटते थे,
लोग सोते थे दिन, दोपहर, रात पर हम ना सोते थे।
कभी कैरम की लङाई में जीतना हारना होता,
कभी शतरंज में बैठे-बैठे रात का पहरा होता।
इतने ढुब गये थे खैलों में की लोग टोकते थे,
मस्त जवाब देकर कभी हारते जीतते थे।
मेरी हार अगली जीत को उकसाती थी,
तुम्हारी हार अगली एक बहाने संग आती थी।
क्या खुब अपनी दोस्ती थी,
दोनों साथ होते और खुब मस्ती थी।
आज के जमाने में पल भर में कुछ देना चाहा,
कुछ समझा ना तो मन हाल लिख दे दिया।
इन पंक्तियों का सार ना समझना,
पसंद भले ना आये अपने पास रखना।
झुठे दिलासे भरी दुनिया में तुमनें सच का साथ दिया,
हमेशा कद्र की भावनाओं की मेरी तो ये भाव दिया।
मुझे याद ना रहा कभी तुम्हारा जन्मदिन जो जग मनाता रहा,
पर कभी रुठा ना तु हर जन्मदिन पर पहले विश किया।
कुछ ह्रदय की गहराई से शब्द लाया हूँ,
कुछ अच्छे कर्म किये होंगे की तुझ सा मित्र पाया हूँ।
यूँ ही नहीं इतने साल गुजर गये,
बिन झगङे, मन मुटाव इतने साल गुजर गये।
खुद की कमियों से जानकार हूँ,
तभी कहता हूँ तुझ जैसा मित्र पाकर लम्हे सुधर गये।
खुशियों के लम्हों को पैमाने पर लाया हूँ,
सबसे ज्यादा नजदीक तुम्हें पाता हूँ।
खुद्दारी, ईमानदारी, कर्मठ तुमसा मित्र दुर्लभ था,
साथ रहा तुमसे जो लगा जीवन सुलभ था।
कल की किसे खबर आज तुम साथ हो,
हर लम्हे को मित्र तुम मेरे साथ हो।
कभी कोई बात हो मुझे साथ समझना,
बिगङे कभी रिश्ते तो भी पास समझना।
आज के आलम मे सब खोने को मन करता है,
दुर होते लोग और बस में नहीं मन तो रवि डरता है।
डरता है कि कहीं कल शाम ना देखुँ तो क्या होगा,
सोंचता हूँ अगर आज साँस ना हो क्या होगा।
यही सोंच लिखने लगा हूँ,
कुछ पाया या नहीं पर जीया तो हूँ।
मेरे जीवन के संघर्ष को अनसुना ना छोङुंगा,
बन ना पाया कवि पर लिखता जाऊँगा।
एक बोझ कम लगता है लिखने से,
डर कद्र ना होने का है पर लिखता हूँ दिल से।
सोंचता हूँ कभी तो खाली बैठे मेरी शायरी याद आयेगी,
मेरी डायरी पढ़ मेरे दुर होने पर भी याद तो आयेगी।
यादों में मेरे बचपन की गलतियों को माप करना,
कभी भूले से दुखाया हो दिल तो माफ करना।
ना जाने कब कैसे कुछ भी कह देता हूँ,
मन पर काबू नहीं होता तो चिढ़ जाता हूँ।
इन्हीं कहे शब्दों पर गौर ना करना,
गुस्सा आये तो डाट भले देना।
खुशियों के पल मे नव जीवन तुम्हें सौंपता हूँ,
जीवन भर के सच्चे साथी के मिलने पर बधाई देता हूँ।
मेरा मुकाम दिमाग में रहा होगा,
ये दोस्त दिल दिमाग की खुशियाँ देगा।
लम्बे अरसे बाद झुमनें को मन करता है,
लम्हें दुखो से सराबोर है पर नाचने का मन करता है।
तेरी खुशियों की रब से दुआऐं की है,
मेरे दोस्त की खुशियों से मुलाकात हुई है।
कुछ सकारात्मक मन में आया है,
हमारे महकमें में दो नये दोस्तों का पैगाम आया है।
कभी फिर पार्टी की याद आयी जो,
हम खुलके उन संग भी हॅस लेंगे यो।
काश वो समझ सके जीना क्या होता है,
मन को बच्चा ना मौज पीना क्या होता है।
उन्हे भी सारी कहानियाँ कहनी है,
कैसे रहे बचपन अपने उन्हे कहने है।
कह दो कुछ भी सुन लो कुछ भी कल होगा जो,
सोच लेते है आज जो होगा, होगा कल जो।
पल भर सोंच खुश हो लेते हैं,
आने वाले महमानों को स्वागत करते हैं।
एक उत्सव, एक माहौल बनाया है देखो,
स्वागत हो रहा नये दोस्तों का देखो।
दुल्हा बना मित्र, दुल्हन बनी सहेली भी,
नये आगन्तुक संग चल दी तुम भी।
एक आया लेकर एक जा रही है,
बचपन छोङ नयी कहानी लिखी जा रही है।
अब गीत यौवन के होंगे,
बात होगी नव संसार की।
उलझा होगा घर संसार सब,
चिंताये होगी घर परिवार की।
कभी मिले खाली लम्हें तो बैठ आराम करेंगे,
थकान मिटेगी फिर से नये का होंगे।
इसी तरह जीवन नव रस लिखा देगा जीना,
कट जायेंगे दिन धीरे-धीरे और होगा जीवन सीना।
आओ कभी फिर मेरी गली तो याद रखना,
मैं पागल रहूँगा याद दिला दूँगा जीना।
भूल आना नव संसार जो लिया अभी,
बचपन का भाई बन जाना चलेंगे तभी।
वही अपनी परिपाटी होगी वही अपना राग,
मिल बैठेंगे दोनो कहीं करेंगे कई बात।
बातों ही बातों में फिर कहीं प्लान बनायेंगे,
घूमने चलेंगे सब ओर मौज करेंगे।
मौज में अपनी वही पुरानी खोज होगी,
बिन सोचे चल देंगे जहाँ वो मौज होगी।
कभी भूले से तुम भुल ना जाना ये,
मित्र आने का इंतजार करता है ये।
मुश्किल से मिली यारी को सिर ना चढ़ाना कभी,
दोस्त मिले हो लाख भले पर इतराना ना कभी।
मेरे लिये तब भी खास थे तुम,
मेरे लिए आज भी खास हो तुम।
आज को कैसे तेरे नाम करुँ यही सोचा था,
बिते लम्हों को लिख दिया और मन को टोका था।
टोका था कि कहीं व्यर्थ ना हो जाये,
कहीं यूँ ही बेकद्र ना कर दिये जाये।
फिर सोंच की ये हक देता हूँ तुम्हें,
अनमोल भाव देकर उसका मौल लेता हूँ मैं।
मेरे लिए सब महत्वपुर्ण हो जाते है,
कुछ खास होते है कुछ आसपास रह जाते है।
जो खास होता वो कुछ चुने हैं बस,
उनमें अपनी टोली और तुम मिले हो बस।
टोली को बता ना पाया लगाव सब से कितना है,
तुम समझ लो कि मन का भाव कितना है।
जब कभी टोली याद आये बुला लेना,
लायक हूँ किसी काम के तो काम लेना।
शादी के बाद एक मौज करेंगे,
पार्टी होगी शादी की तब मौज करेंगे।
कुछ लम्हे सब बैठ फिर बचपन की बात करेंगे,
मन है कि साथ खाना खाकर डान्स करेंगे।
मस्त मौला वही बशरम बालक बन जायेंगे,
एक मुड बनाकर सब बिंदास मौज करेंगे।
मैं तो आज भी अपना माहौल टोली में ढुँढता हूँ,
खुशियों की चाबी बस अपनों में अपनों में ढुँढता हूँ।
तुम भी अपना मुड वैसा बना लेना,
अबके आओ मोङक की गलियों में तो बोल देना।
जल्दी से मुकाम पाकर हम सब मौज करें,
अपनी जिन्दगी सँवार के एक नाम करें।
एक फाइव स्टार हाॅटल में बुक कराऊँगा,
एक सेवन स्टार तुम सब के लिए बुक कराऊँगा।
खुब मजे होंगे जब फिर हम साथ होंगे,
ईश्वर करे सब खुश रहे सब साथ रहे।
चलो बहुत कहा अब विराम देता हूँ,
कुछ गलत कहा हो तो क्षमा लेता हूँ।
मेरी गलतियों को नजरअंदाज ना करना बस,
सजा देना पर नजर अंदाज ना करना बस।
मैं पागल कुछ ज्यादा बह जाता हूँ,
अपने शब्दों को दिल से जोङ देता जाता हूँ।
खुशनुमा पलों को बचपन तक ले गया,
याद दिला दिया गुजरा जमाना जो गुजर गया।
वो मौज मस्ती के दिन बढ़ चढ़ कर वापस आये,
हमने जीये वो दिन सौ गुना खुशियाँ लाये।
फिर से दुआ करके मन मुस्कान भर दूँ,
मेरे दोस्तों तुम्हें शादी की शुभकामनायें दूँ।
ईश्वर तुम दोनों की जीवन खुशियाँ बढ़ाये,
बुरे कुछ लोग अगर आये तो भाङ में जाये।
मस्त मौला बिन्दास तुम अपना जीवन बिताना,
कभी भूले से याद आये तो मेरी गली आना।
कई यादें संजोयी थी मैंने,
कई पलों को सजाया है।
सहेज के रखना खुशियों को,
जो मैने पन्नों मे उकेरा है।।
-कवितारानी।
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