संदेश

मार्च, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मनमौजी बने

चित्र
 रुकसत ऐ उम्र, जहां ख्वाब देखता है। झोंपड़ी के सुख छोड़, महल देखता है। नादां नहीं परिंदा आशियाने देखता है। बंदिशे नहीं सोचनें पर, ख्यालों मेें रहता है। बस गुजरते वक्त की ना कदर करता है। रुकसते उम्र जहां ख्वाब देखता है। । -कवितारानी 

वो बात मेरे मन की।

चित्र
      जीवन में कभी कभार ऐसी बात मन में उठती है जिसे हम अपने सबसे प्रिय व्यक्ति को ही बताना चाहते हैं और सबसे उस बात को छुपाये रखते हैं, तब तक वो बात मेरे मन की इस प्रकार का असर रखती है; वो बात मेंरे मन की  अक्सर जिसे छुपाती, किसी को नहीं बताती, सपनों में जिसे जीती, ख्यालों में पिरोती। वो कहीं से उभर आती है,  मेरी ऑखों में दिख जाती है, वो मनमोहक सी लगती है, वो तस्वीर सी दिखती है। वो मधुरता लिए होती है, वो प्रेम लिए होती है,  वो बात मेरे मन की, वो बात किसी खुशी की।। - कवितारानी