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मनमौजी बने | manmauji bane

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  Click here to see video Manmauji bane रुकसत ऐ उम्र, जहां ख्वाब देखता है। झोंपड़ी के सुख छोड़, महल देखता है। नादां नहीं परिंदा आशियाने देखता है। बंदिशे नहीं सोचनें पर, ख्यालों मेें रहता है। बस गुजरते वक्त की ना कदर करता है। रुकसते उम्र जहां ख्वाब देखता है। । -कवितारानी 

वो बात मेरे मन की।

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     वो बात मेरे मन की | vo bat mere man ki Click here to see video for this poem जीवन में कभी कभार ऐसी बात मन में उठती है जिसे हम अपने सबसे प्रिय व्यक्ति को ही बताना चाहते हैं और सबसे उस बात को छुपाये रखते हैं, तब तक वो बात मेरे मन की इस प्रकार का असर रखती है; वो बात मेंरे मन की  अक्सर जिसे छुपाती, किसी को नहीं बताती, सपनों में जिसे जीती, ख्यालों में पिरोती। वो कहीं से उभर आती है,  मेरी ऑखों में दिख जाती है, वो मनमोहक सी लगती है, वो तस्वीर सी दिखती है। वो मधुरता लिए होती है, वो प्रेम लिए होती है,  वो बात मेरे मन की, वो बात किसी खुशी की।। - कवितारानी