वो बात मेरे मन की।
जीवन में कभी कभार ऐसी बात मन में उठती है जिसे हम अपने सबसे प्रिय व्यक्ति को ही बताना चाहते हैं और सबसे उस बात को छुपाये रखते हैं, तब तक वो बात मेरे मन की इस प्रकार का असर रखती है;
वो बात मेंरे मन की
अक्सर जिसे छुपाती,
किसी को नहीं बताती,
सपनों में जिसे जीती,
ख्यालों में पिरोती।
वो कहीं से उभर आती है,
मेरी ऑखों में दिख जाती है,
वो मनमोहक सी लगती है,
वो तस्वीर सी दिखती है।
वो मधुरता लिए होती है,
वो प्रेम लिए होती है,
वो बात मेरे मन की,
वो बात किसी खुशी की।।
- कवितारानी
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