अरी तुम भूल गई, Ari tum bhul gyi
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अरी तुम भूल गई
कभी पापा आये कभी दीदी ।
बातें हुई बहुत पर हुई नहीं सीधी ।
कहती रही किस्से कई ।
अनजाने ही बने तुम जीवन के हिस्से ही ।
करी जो ठिक पर अब कहाँ गई ।
अरी तुम ही तो थी खास तुम भी भूल गई ।
दिवस अवतरण का याद रहा ना ।
कहा ना उसके बाद भी ।
एक मैसेज देख जवाब देती कभी ।
आज करती नहीं एक मैसेज भी ।
सोनी सुरत दिखा भाव खा ही गई ।
लड़के सा रह भी लड़की बन गई ।
अरी तुम ही तो थी खास मेरी ।
अब तुम ही भूल गई ।।
बहानों के साथ भी याद नी करती ।
एक बार भी अब कुछ याद नी करती ।
कभी सोंची नहीं क्या मेरी हालत रही ।
क्या तुम मुझे बिल्कुल भी याद नी करती ।
जैरी क्या तुम सच में मुझे भूल गई ।
अरी तुम सच में भूल गई ।।
Kavitarani1
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