सहारा | Sahara




सहारा।


नोकायें लहरों पर सवार कर,

बहती धारा को पार कर,

भूल ना जाना राही के;

था नाविक कौन?

था पुल कौन?


वो जो दुर्दिन में काम आते है। 

वो जो तेज धार पर चढ़ जाते है। 

वो सहज ना सबको मिल पाते है। 

वो देव दूत कहलाते है। 


तुम अपना मार्ग सुगम कर,

बहते दरिया को पार कर,

भूल ना जाना राही के;

था सहारा कौन ?

था मुश्किल में साथ कौन ?


जीवन सफर में हमें कई तरह के लोग मिलते हैं, इनमें से कुछ हमारे जीवन को ऊर्जा देने का काम करते है और हमें मुश्किल समय से उभारनें का काम करते हैं । यह कविता हमारे जीवन के उन्हीं सहारा देने वाले लोगों के ऊपर हैं ।


- कविता रानी। 

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