आदिनाथ | Aadinath



 आदिनाथ


देवताओं के देव है,

मेरे प्रभु महादेव है।

कालों के काल है,

मेरे प्रभु महाकाल है।

है धरा उनकी,

है नभ सारा उनका।

वो कण-कण बसते,

वो जन-जन में बसते।

दीनों के दयाल है,

मेरे प्रभु दीनदयाल है।

नाथों के नाथ है, 

मेरे प्रभु आदिनाथ है। ।


है डमरू हाथ,

त्रिशूल साथ।

नाग गले में धरते हैं। 

है सिर पर चाॅद,

त्रिनेत्र ऑख,

बाघों का बिछोना करते हैं। 

नंदी की सवारी, 

देव-दानव पुजारी, 

हर-हर में बसते हैं। 

कर भस्म बेर,

शमशान शेर,

आदि योग में रहते हैं। 

है आरंभ शिव,

है अंत शिव,

शिव ही सत्यम, सुन्दर है।

कर अमृत दान,

हालाहल पान, 

सृष्टि के पालनहार है।

कालों के काल, 

है महाकाल, 

मेरे प्रभु आदिनाथ है। ।


-कविता रानी। 


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

ऐ भारत के वीरो जागो / E Bharat ke veero jago

वो मेरी परवाह करती है | vo meri parvah karti hai

सोनिया | Soniya