विरासत | Virasat

 


विरासत।

देश नहीं बदलते,
ना देश की धरोहरें।
जो छोङ जाते हैं अपने -अपनों के लिए, 
वही कहलाती है विरासतें। ।

ये कोई आज की इमारतें नहीं, 
ये कोई खंडहर, विरान नहीं। 
ये हमारी संस्कृति है,
ये हमारी विरासत है।।

ये धर्म स्तंभ है,
ये धर्म ध्वजाऐं हैं। 
ये चिन्ह है हमारे पूर्वजों के,
ये हमारी विरासतें हैं। ।

कोई दबी है रेगिस्तानों में, 
कोई छुपी हुई है हिमालयों में। 
कुछ अछुती है अभी भी जग से,
कुछ बन चुकी विश्व धरोहर है। ।

ये प्राचीनकाल अभिलेख हैं, 
ये मानवता के लेख हैं। 
आओ! हम गुण गान करें, 
अपनी विरासतों पर अभिमान करें। 


-कविता रानी। 

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