पगडंडीयाॅ | Pagdandiya



 पगडंडीयाॅ 

 दुर्गम पथ,
दरिया-बाधाएं, 
पहाड़ी जमीन, 
कंटीली राहें।

उपवन की सैर में,
मंदिर की फेर में,
मैं आगे बङी, 
पगडंडीयों पर चली।

जब रास्ते बंद हो जाते हैं, 
पथ भ्रमित कर जाते हैं,
सङके जर-जर हो जाती है, 
तब पगडंडीयाॅ याद आती है। 

मृदुल ये नम मिट्टी से,
मखमली नरम घांस से,
मनमोहक हरियाली  से,
आसान है चलने में।

मन में जगह बनाती है, 
मंजिल को पहुँचाती है,
रास्ते आसान करती है, 
पगडंडीयाॅ बहुत काम आती है। ।

जीवन सफर में कई मोड़ पर रास्ते कठिन हो जाते हैं। उन रास्तों पर चलना तो चुनौती होते ही हैं, मंजिल की कोई गारंटी नही होती। ऐसे समय हमारे काम जो आये और हमारे जीवन को शार्टकट देकर, रास्ते को आसान कर दे वही हमारी पगडंडी है।

-कविता रानी। 



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