हो सशक्त तुम / Ho sashakt tum
हो सशक्त तुम
ना अबला हो, ना निर्बल तुम।
हर युग की तस्वीर तुम।
हो हर घर की तकदीर तुम।
ना समझो खुद को कमजोर तुम।
हो सशक्त तुम, हो सशक्त तुम। ।
ये युग बदलते देखें हैं ।
ये जग बदलते देखे हैं।
मैंने कईं मंजर बदलते देखें हैं।
देखी हर कई तस्वीर ये।
हो भाग्य तुम, हो सशक्त तुम ।।
तुम बिन घर -ऑगन सुने हैं।
तुम बिन परिवार अधूरे हैं।
तुमसे ही रोनक मंदिर की।
तुमसे शान देश-दुनिया की।
तुम्ही मूल हो, तुम्ही शक्ति हो।।
तुम सहती हो, सहनशील तुम।
तुम कर्मठ हो, कर्मशील तुम।
तुम ममता हो, ममत्व तुम।
तुम देवी हो, दिव्य तुम।
तुम शक्ति हो, सशक्त तुम। ।
कोई युग भूल ना पायेगा।
अनदेखा कर रह ना पायेगा।
तुम नहीं तो मानवता नहीं।
तुम नहीं तो कुछ नहीं।
है सत्य यही, ये जग सशक्त तुमसे ही।।
-कविता रानी।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें