अब नया सवेरा (ab naya savera)
अब नया सवेरा।
थी रात लम्बी काली, कट रही थी बन मतवाली।
अंधेरे कर पथ सारे मेरे, पथरीले पथ पर टकराते हारे।।
हो चोटिल चलता रहता मैं, भरे अधेरे में बढ़ता रहा मैं।
आधी कटी आधी रह गयी बाकि,जिंदगी मेरी रही साथी।।
चढते अंधेरे बढ़ती रात संग,अधेरे ने ले लिये थे सारे रंग।
थी जंग एक जैसे जारी, मुसीबत आखिर मुझसे हारी। ।
घटने लगा ही था अंधेरा, आप मिले नया दिन मिला अब।
अब नया सवेरा, अब नयी उमंग, अब हैं नया जीवन। ।
अब बातें सारी गुजरी पुरानी है, ये नयी जिन्दगानी है।
ये नये जीवन की फेरी है, अब नया सवेरा है। ।
-कविता रानी।
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