भाये हो तुम (bhaye ho tum)
भाये हो तुम।
शर्माती नजरों के झूकने से,
पलको पर आती चमक से,
गालों पर लाली के छाने से ,
लबों की मुस्कराहट से,
दिल में जो एक छवि बनी हैं ,
आकर्षण की एक झड़ी लगी हैं ,
चाह कर भी नैन रुकते नहीं,
कुछ पल देखना चाहते ही,
किस कदर ये जादू छाया हैं,
मन ने अब तुम्हें चाहा हैं,
लगता जैसे सालों बाद नजर आये हो,
ऐसे एक पल में ही देख भाये हो,
हाँ मुझे ऐसे भाये तुम।
- कविता रानी।
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