स्कूल के दिन





 स्कूल के दिन 

वो सुबह-सुबह उठना,मन ना हो तो भी नहाना।
और स्कूल की घंटी बजने से पहलेप्रार्थना में पहूँचना।।

प्रार्थना की वो लाइनें, खङे रहने मे करते बहानें।
एक दूसरे से धक्का-मुक्की, वो कक्षा में एकदम की चुप्पी।।

अध्यापकों के होमवर्क का डर, और काम ना करने पर मार।
वो कक्षा की मस्ती, वो दोस्तों संग बनी हस्ती।।

है स्कूल के दिन प्यारे, है स्कूल के सब दोस्त न्यारे।
वो कुछ चहेते मास्टर, और मेरे स्कूल का फास्टर।।

वो झण्डे के दिन का सजना, रंगोली बनाने वाली लङकियों के नखरे।
डांस वाले साथियों के होते वखरे, और स्काउट वालों से होते झगङे।।

वो स्कूल के दिनों का टूर, वो खुद से बनाये मोतीचूर।
वो स्कूल मेथ बिना यूनीफोर्म के आना, प्रिंसिपल सर से मार खाना।।

याद आते हैं उन दिनों के ये पल सारे।
जैसे बुलाते हो स्कूल के दिन प्यारे।।

- कविता रानी।


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