Ek arsa bit gya (एक अरसा बित गया) हिंदी कविता
एक अरसा बित गया
बचपन की शरारते खो गई ।
वो अल्हङपन खो गया ।
वो खैलने की रातें खो गई ।
बैठ अकेले जब पलट कर देखा ।
पता चला उम्र के साथ,
जीवन का एक अरसा बित गया।।
वो बेबाक बातें बित गई ।
वो मस्ती भरी सोगातें बित गई ।
वो स्कूल की पढ़ाई बित गई ।
दोस्तों से होतीं लड़ाई बित गई ।।
बस याद है चेहरे कुछ ।
जीवन की दौड़ में देखा मैंने।
लोगों की रोनक बित गई ।
और पिछे मुड़कर देखा तो पाया।
जीवन का एक अरसा बित गया।
कोई पलट कर आया नहीं।
ना दिंन पुराने जी पाया कोई।
कभी पथराई आँखे सोई नहीं।
और जैसे किस्मत यादों में खोई रही।।
सपनों भरी नज़रें जो दूर तक देखा करती थी।
आज वो मुड़कर ही देख रही।
लग रहा एक जीवन बिता हुआ।
लग रहा है अभी कि,
जीवन का एक अरसा बित गया।।
- कविता रानी।
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