Jab sab thik ho (जब सब ठीक हो) hindi poetry




 जब सब ठीक  हो। 


जब मन भरा हो। 

सब कुछ हरा हो ।

घाव भरा हो ।

और चाव चढ़ा हो ।

कुछ नया नहीं आता।

मन नया नहीं चाहता ।

बस कट रहीं हैं अच्छी जिंदगी।

बस चल रही है बदंगी।

कुछ खास नहीं भाता।

सब खास ही होता।

यही कहता में जाता।

और कुछ याद नहीं आता। 

जब सब ठीक  हो।

जब सब अच्छा हो ।

जब मन बच्चा हो।

जब तन अच्छा हो।

कुछ ज्यादा किया नहीं जाता। 

कुछ जिया नहीं चाहता। 

बस जीया है जाता। 

बस चला है जाता। ।


- कविता रानी। 

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