कर्म से विमुख (karm se vimukh)

 


कर्म से विमुख। 


पथ पर चलने की बङी-बङी बात करते हैं।

अपने मार्ग को सुगम ले चलते हैं।

अपनी राग में किसी की नहीं सुनते हैं।

लगना चाहते हैं कर्मठ अपने आप में ये।

पर है कर्म से विमुख अनजान ये।।


बङी-बङी बात करते हैं।

अपने आप को ही बङा ये कहते हैं।

अपने मन की ही ये गढ़ते हैं।

पर जब बात आये कर्म पथ की जो।

तो कर्म से विमुख ही लगते ये।।


- कविता रानी।

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