Pragati path par (प्रगति पथ पर) hindi poem


 

प्रगति पथ पर

जब चुन ली मंजिल, तो परवाह दुनिया की छोङनी होगी।

प्रगति पथ पर आगे बढ़ने को, राह नयी चुननी होगी।।


फिर कौन सगा? कौन पराया? सब रिश्ते नाते छोङने होंगे।

पानी है  मंजिल तो , खुद की राह चुननी होगी।।


प्रगति पथ पर, कांटे हैं, पत्थर है, कहीं खाई है।

जो एक लक्ष्य दृढ़ निश्चय से बढ़ा, उसी ने मंजिल पाई है।।


कौन क्या कहे? कौन, क्या सोचे परवाह छोङनी होगी।

प्रगति पथ पर आगे बढ़ने को, अपनी कमियाँ छोङनी होगी।।


ये दुनिया है मतलब की, ये आपको आगे बढ़ने ना देगी।

जो चुनी राह हटकर तो, खुद अपनी राह बनानी होगी।।


प्रगति पथ पर दुनिया से ज्यादा, खुद की सुननी होगी।

मंजिल तक पहुँचने में राह से कठिन राहगीर की पसंद होगी।।


पानी है मंजिल जो, होंसलो की उङान भरनी होगी।

खुद को अपनी राह चुननी होगी, खुद की कमियाँ  दूर करनी होगी।।


- कविता रानी।



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