शिक्षक हूँ (Teacher)
शिक्षक हूँ।
समाज का सहारा हूँ, देश की पीढ़ी को सवाँरता हूँ।
समय से हारा हूँ, अपने आप को बांटता हूँ।।
अपेक्षाओ का मारा हूँ , घर ,स्कूल,समाज में रहता हूँ।
हर जीत पर खुश होता हूँ,हर फेल पर मनोबल बनता हूँ।।
गुरु हूँ गौरव देता हूँ, बुरे को भी अच्छाई देता हूँ।
कमाने को चुना काम जो ,मैं पाठ रोज नये पढ़ता हूँ।
हर साल नये नाम सुनता हूँ, कभी गाली गलोच भी सुनता हूँ।
लग जायें बालक के तो,अभिभावको से भी लड़ता हूँ।
भला सोचता खुद का मैं, तो कंजूस कहला जाता हूँ।
ज्ञान बांटता सत्य पर तो, विरोधी बन जाता हूँ।
भूल सब परेशानियाँ, फिर से कक्षाओं को सवाँरता हूँ।
हर आदेश का पालन करता, हमेशा कर्मठ बन जाता हूँ।
अपनी आदत का मारा हो चुका, शिक्षायें देता जाता हूँ।
मूल से शिक्षक बन गया, दिक्षायें देता जाता हूँ।
सरल हूँ, साहसी हूँ, सहज हूँ, मैं शिक्षक हूँ।
अपनी आदतों से शिक्षित लगता हूँ, मैं शिक्षक हूँ।
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