Ye Jindagi (ये जिंदगी) hindi poetry
ये जिंदगी
यूँ ही कट जानी है ये जिदंगी।
कुछ सपनों में रह,कुछ अपनों में रह।
कोशिश कर पाने की दोनों को ;
कभी सपनों को, कभी अपनों को,
यूँ ही बट जानी हैं जिंदगी ये। ।
आशायें कभी छुटती नहीं जीने की।
अभिलाषायें बनी रहती कुछ और पाने की।
वक्त की रफ़्तार समझ नहीं आती।
रह जाती ख़्वाहिशें कई जीने की।
सोच हर कल की चल जाती ये ज़िदंगी ।
रोज हर पल कट जाती ये जिंदगी ।।
- कविता रानी।
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