मैं हारा नहीं | Main hara nahi

 


एक साहसी व्यक्ति अपने सामने आने वाली चुनौतियों से  कभी भी डरता नहीं, वो उनसे सामना करता है, लङता है और कुछ सिखता है।  यहाँ अकेला पथिक अपने पथ पर चल रहा है और राह में आने वाली अपनी मुश्किलों से लङ रहा है।

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मैं हारा नहीं।


था बेसहारा मैं।

अकेला मन का मारा मैं।

रूका नहीं, थका नहीं, चलता रहा अपनी धुन में।

रहा बेसहारा, पर हारा नहीं मैं।।


थी दौङ मेरी, दौङता रहा।

जाना था दूर, बढ़ता रहा।

आये मोङ कई, पर मुङा नहीं।

गिरा, उठा, चला रुका नहीं।

मिला किनारा, सहारा नहीं।

बह गया मैं, पर हारा नहीं।।


चुनौतियाँ कई आती रही।

जिंदगी जैसे आजमाती रही।

मैं बाधाओं से डरा नहीं।

जीता रहा हर पल, मरा नहीं।

आखिर तक चलता रहा मैं,

मैं हारा नहीं।।


हो और बाधाएं तो लङ लुंगा।

शिखर मिलने तक मैं चल लुंगा।

हो साथ कोई या नहीं।

मैं रहा अकेला हारा नहीं।।


होंसले से बढ़ता आया हूँ।

खुद की किस्मत लिखते आया हूँ।

खुद की हिम्मत बनते आया हूँ।

लङता रहा समय से मै,

पर हारा नहीं मैं।।


-कविता रानी। (KR)



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