सत्कर्म मुश्किल | Satkarm mushkil
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सत्कर्म मुश्किल।
हे कर्म पथ मुश्किल, हे धर्म पथ मुश्किल।
जहाँ धरा पर है विपरीत धङा, वहाँ सत्कर्म मुश्किल। ।
अटी पङी है धरती गहरे गड्डों से, चलना बङा है मुश्किल।
सटी पङी है धरती गहरे जख्मों से, बचे रहना बङा मुश्किल। ।
हो कायाकल्प सत्य का झूठ, रुठे रहना भी मुश्किल।
हो मार कृत्य की पङी, खुंटे पर अङे रहना भी मुश्किल। ।
सिखे जहाँ सन्मार्ग पर मर मिटना, कुमार्गी होना मुश्किल।
सिखे जहाँ सत्कर्मी रहना, वहाँ कुकर्मी बनना मुश्किल। ।
हो रगों में भरी ईमानदारी, वहाँ बेईमानी भरना मुश्किल।
स्वतंत्रता की उमंगो में जन्में, धुर्त की सुनना मुश्किल। ।
हे दूत ईश्वर के जन्में, धूर्त की सुनना है मुश्किल।
हे पुत जन्में सपुत बनने, मार्ग कपुत का चुनना मुश्किल। ।
हे संगत चार दिन की, कुमति से डरना कहाँ मुश्किल।
हे बदलता समय अक्सर, सुमति को बनाये रखना मुश्किल। ।
हो मार्ग राक्षसों से भरा, खुशहाल रहते जीना है मुश्किल।
कलियुग के भार से जग भरा, सतयुग की सोंच रखना है मुश्किल। ।
जब चुन लिया मार्ग सत्य का, असत्य को चुनना है मुश्किल।
जब सिख लिया सम्मान से जीना, मान खोकर जीना मुश्किल। ।
जब भरी सभा हो कुकर्मों की, सतकर्मों का बखान मुश्किल।
जब भार पङा हो मन पर भारी, कोई कर्म करना है मुश्किल। ।
हो पावन धरा भरी पापियों से, धर्म की बात करना मुश्किल।
हो कुकर्मों की मण्डली बङी, वहाँ सत्कर्मों की करनी मुश्किल। ।
- कविता रानी।
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