वो शाम बाकि है।

 


वो शाम बाकि है।


भौर भूल गया हूँ,

दिन की चढ़ाई याद रहती है।

तपती धूप में बस अभी जी पाता हूँ।

आगे बढ़ता हूँ,

सब सहता हूँ।

जानता हूँ दोपहर है।

जानता हूँ अभी गोधूलि बाकि है।

अभी शाम बाकि है।

वो शाम बाकि है।।

जब किस्से कई होंगे।

मेरे हिस्से कई होंगे।

वो आलिशान घर होगा।

मेरा खुद का जहाँ होगा।

कुछ काम ना बाकि होगा।

कुछ खास ना बाकि होगा।

बस यादें होगी।

यादों की मुलाकातें होगी।

वो दिन का अंत होगा।

रात की आहट होगी।

बढ़ते दिन की ओर देखता।

मैं आज सोंचता।

कि वो शाम बाकि है।।


-कविता रानी।

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