खामोशियाँ शौर बन गई।

 


खामोशियाँ शौर बन गई।


खामोशियाँ शौर बन गई, 

मदहोशियाँ मौज बन गई, 

शाम तक थी तन्हाई जो,

आज हमसफर संग ओज बन गई। 


नादानियाँ सयानी हो गई,

अठखेलियाँ कमाई बन गई, 

रोज खोजते थे जिन्दगी जो,

आज राह ही वो बन गई। 


वक्त बदला जमाना बदला,

बदल गये मायने हर चीज के,

अब हर कोई लगता जैसे,

बात करता हो खीज के।


स्वार्थ सिध्द रिश्ते नाते बनते हैं,

हर दिन नये नये लोग मिलते हैं,

साथ सबका काम तक रखते हैं,

आज कल सुबह से शाम तक जीते हैं।


खुमारियाँ अब खो गई, 

लगता है जिन्दगी कुछ रुक गई, 

कल तक था जुनून जो,

आज सरल सी रेखा बन गई। 


तन्हाईयाँ भीङ बन गई, 

खामोशियाँ शौर बन ।।


- कविता रानी।

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