अच्छा लगा ।
अच्छा लगा।
इस जीवन की भाग दौङ में।
लगी रहती इस होङ में।
मैं कईयों को पीछे छोङ आया।
मैं हर जगह कुछ दिल तोङ आया।।
लगा जैसे वो भूल गये होंगे।
मेरे संदेशो को पाकर रुठ गये होंगे।
क्या याद रहा होगा उन्हें मैं अब।
सब व्यस्त होंगे जीवन में अब।।
तब ही एक संदेश मैंने पाया।
अंधेरे में जैसे दीप जला पाया।
फिर वो मुस्कान और सवाल आये।
जीवन के मधूर लम्हें भाये।।
अच्छा लगा जान कर कि कोई याद करता है।
बेमतलब भी इस दुनिया में कोई रहता है।
सादगी से उसकी मन खिल उठा।
याद कर उस सफर को मैं हसने लगा।।
ये अच्छा था की कुछ लोग मन के मिले।
इस दुर्गम राह कुछ पल मेरे साथ चले।
उन्हे अब याद कर दुआ देता रहता हूँ।
अच्छा लगा कहकर मन हरता हूँ।।
- कविता रानी।
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