याद नहीं।
याद नहीं।
वो आँखों की मस्तियाँ.
वो जुल्फों की तारिफें,
वो बिते दिन,
वो बेताबी,
अब याद नहीं।
वो फोन का इंतज़ार,
वो मैसेज का प्यार,
वो घंटों की बातें,
वो याद रखनें की कसमें,
कुछ याद नहीं ,
कुछ याद नहीं ।
वो अठखेलियाँं,
वो शैतानियाँ.
वो मस्ती भरी चोंरियां,
और मजबूरियाँ,
अब याद नहीं,
अब याद नहीं।।
-कविता रानी।
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