चल रही जिन्दगी । chal rahi zindagi


 
                      जीवन में तरह-तरह के लोग मिलते हैं, हमें उनमें ज्यादा उलझे बिना कैसे बढ़ते रहना चाहिए, बताती एक सुन्दर कविता ।

चल रही जिन्दगी।


कौन सगा, कौन संगी।

मैल मिले बैमेल अतरंगी।

जंग सी चल रही, जिन्दगी ये जंग सी।

कौन भला, कौन भाला,

झेल रहे हम सब अतरंगी।।


भली राह-राह पर बलि,

ले रही हर मनरंगी।

झैल रहे बेमतलब, 

लोग अजनबी - अतरंगी।।


कौन भला, कौन भाला।

कौन बताये रंगबधी।

सब मतलब के, मतलब की ये जिन्दगी।

चल रही जिन्दगी, चल रही जिन्दगी।।


- कविता रानी।

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