तकदीर / Takdir
मेहनत सब करते हैं परन्तु सफलता किसी-किसी को ही मिलती है। ये सब हमारे इस जन्म और पूर्व जन्म के कर्मों का फल होता है। ये कविता कर्म से ऊपर भाग्य को कैसे बताती है, पढ़िये कविता - तकदीर ।
तकदीर
तह तकदीर की तराजू़।
ताकत है कि तकदीर साथ।।
तमाशा तकता तालुका जमानें से।
तमाम रारीख़ गवाह तकदीर क्या।।
तौहीन तबाह तन तराशनें से।
तस्वीर तय जब तकदीर साथ।।
तय तहखाना, तख्त तराशना क्या।
तकलीफ़ तश रखना , तब तकदीर ख़ाश।।
ताउम्र तजूर्बा तराशना चलता रहा।
सब मिलता रहा जो तकदीर साथ।।
- कविता रानी।
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