जब पलट कर देखता हूँ । jab palat kar dekhta hun



कठिन परिश्रम के बाद जब सफलता मिलती है, और जीवन सहज होता है, तब खाली बैठे हम जब पीछे देखते हैं तो लगता है कि हमने क्या पाया है, और क्या चल रहा है।  इसी को बताती  एक सुन्दर कविता ः जब पलट कर देखता हूँ ।


जब पलट कर देखता हूँ।

एक जमाना ही बदल गया।
मेरा जीवन ही बदल गया।
आज सुनें लम्हों में सोंचा कल को तो।
पाया काफी कुछ पिछे छुट गया।।

कल तक हजार मैं कमाता था।
कल तक पैदल जाता था।
कल तक सपनें देखता था।
कल तक अकेला था मैं।।

आज सब वो बिती बात है।
कोई हमसाया सा साथ हैं।
आज खुद की गाङी चलाता हूँ।
आज मैं पहले से ज्यादा कमाता हूँ।

अब कल की बातें सारी सपना लगती है।
अचरज से वो भरी लगती है।
सब कुछ अलग ही सा लगता है।
जब पलट कर देखता हूँ मैं।।

- कविता रानी।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

फिर से | Fir se

सोनिया | Soniya

तुम मिली नहीं | Tum mili nhi