अब जीवन सहज है।
अब जीवन सहज है।
अब ज्यादा पढ़ाई नहीं होती।
ख्वाबों से अब पहले सी लङाई नहीं होती।
ना कसमकस अब नींदों से होती।
ना मेहनत अब पहले सी होती।।
अब भी समय चल रहा है।
और मैं समय की धार में बह रहा हूँ।
कुछ कहते थे जीना जिसे।
लगता है वही मैं कर रहा हूँ।।
आशायें पंख फैलाये हैं।
नयी उमंगेआती-जाती हैं।
अब बस मैं ठहरा हूँ।
अब मैं जैसे लय में हूँ।।
अब ज्यादा सोंचना छोङ दिया है।
अब ज्यादा परवाह करना भी छोङ दिया है।
अब तो जो जैसा है वैसा रहने देता हूँ।
कोई बोले कुछ तो मैं भी कुछ कह देता हूँ।।
अब ज्यादा सहना ना होता।
बैठ अकेले अब ना रोता।
हाँ अब खोये रहना छोङ दिया है।
जीवन को अब सहज ले लिया है।।
- कविता रानी।
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