जय राम जी। jai ram jee




जय राम जी।

मन मुर्छित, ध्यान भंग  होयो।
देख सुरत राम, रवि रोयो।।

नीर निरंतर नयन होयो।
खुशी का पल म मन खोयो।।

नजर एक टक तस्वीर प अटकी।
सब दुख - दर्द भूल बस सुरत खटकी।।

कसा मनमोहक म्हारा राम सज्या ह।
पुण्य भाग पायो, कि दख्यो राम दरबार कसो ह।।

फुलां स ज्यादा राम की सुरत प्यारी।
भाव नयनां को देख म्हारी हिम्मत हारी।।

ह जो सब न्योछावर राम न।
बस अब जीवन काम आ जाव राम न।।

नमन वा सारा नी, जो मर मिट्या राम को।
आशीष, साधुवाद वाई जो ले आया राम को।।

मन भारी, तन प्यासो सुरत निहार क।
बस अब दर्शन करां, अयोध्या जा क राम का।।

जय राम। श्री राम । जय जय राम।
भक्त अधुरो करजो पुरो, बाट नाळू राम जी।।

जय राम जी। जय राम जी। जय-जय राम जी।।

- कविता रानी।


 

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