जीया जाये ना (jiya jaye na)



जब हम  अपने लक्ष्य को पाने के लिए जी तोङ मेहनत करते हैं, और दुनिया से दूर रहने की कोशिश करते  हैं  तो, ऐसे में  एक सामाजिक व्यक्ति  जो दुनिया में रहने का आदि हो कैसा महसुस करता है, बताती कविता ः ऐसे जीया जाये ना । 


जिया जाये ना।


बिन विश्वास, बिन श्वास, आस बिन।

रहा जाये ना, जिया जाये ना।

जिया जाये ना।।


साथी सगे, सगे मित्र बिन।

कुछ कहा जाये ना, रहा जाये ना।

बाती बिन, बिन दिये, दीपक कहा जाये ना।

जला जाये ना।।


 बिन पानी, बिन साहस, राह बिन।

चला जाये ना, चला जाये ना।।


बिन सपनें, बिन अपनें, संतोष बिन।

जिया जाये ना, रहा जाये ना।।


नित नियम, मेहनत बिन, आगे बङा जाये ना।

आगे बङे बिन, मंजिल पाये बिन,

रहा जाये ना, रहा जाये ना।।


- कविता रानी। 

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