शायरी भाग- 2
शायरियाँ
"मुकम्मल जहान कहाँ,
कहाँ मुकम्मल ख्वाहिशें।
हर रोज जिसे सोंचते,
उसी की लिखते आयतें ।।"
लोग कहते हम बुरे हैं,
लोगों का काम ही है कहना।"
बहुत बातें हैं पास बैठो दो घङी तो बताऊं मैं।
आसान तो नहीं बयां करना बयां कर जाऊं मैं।।"
"हर रोज मैं सो जाता हूँ,
सोंच कर तुम्हें मैं सो जाता हूँ।
पता है मुझे तुम बनी नहीं मेरे लिए,
बस यही सोंच कर मैं सो जाता हूँ।।"
"वो कहते रह गये 'तुम ही चाहिए '।
और दूर होकर ' जी रहे खुश होकर के।।"
"बङा मुश्किल है समझना प्यार को।
और बङा मुश्किल है समझाना प्यार को।"
"यही काफी है कि अकेले हैं।
साथ जीने वाले मरते भी साथ है।
देखा है मैंने हंसो के जोङो को।
देख उन्हें यही सोंचते अच्छा है अकेले हैं।।"
"अब नजरों के पैमाने कम पीया करते हैं।
अब दिल से ज्यादा दिमाग की सुना करते हैं।।"
"अच्छा है मेरे साथ नहीं हो तुम,
अच्छा है मेरे खास नहीं हो तुम।"
"मुझे तुमसे आस थी, तुम्हारे घर वालों से नहीं।
मुझे तुम चाहिए थे, तुम्हारी रास नहीं।।"
"मुश्किलें और मुश्किल हो गई जो तुम आये।
यही समझना मुश्किल हो गये की तुम कैसे आये।।"
"यही प्यार है जो तुमनें सिखाया तो अकेले अच्छे हैं।
साथ रहना इतना मुश्किल है तो अकेले अच्छे हैं।।"
"ये मेरी ज़िन्दगी है, ऐसे हर किसी को नहीं भायेगी।
तुम नहीं साथ तो क्या, कट तो ये तेरे बिन भी जायेगी।।"
"अच्छा है दूर हूँ इस दुनिया से मैं, कि ये दुनिया जलती है।
अकेले अच्छा हूँ कि कौन यहाँ खुद से जलता है।।"
"वो एकान्त मुझे प्यारा है, जहाँ रह सकूं मुझमें मैं।
दुनिया से दूर अकेले रहना अच्छा है, जहाँ खुश रहुँ मन से मैं।।"
"मैं जिन्दा हूँ ये काफी है,
तेरे जैसे लोग यहाँ काफी है।
एक ही जिन्दगी है ऐसे ना उलझने दूंगा,
तुझसे दूर रह कर ही खुश रहुँगा।।"
"हो सके तो दूर रहना मुझसे,
क्योंकि मेरी ज़िन्दगी में बुरे लोग रह नही पाये।।"
"माना की मुश्किल है समझना मुझे,
आखिर ये मेरी जिन्दगी है कोई किताब का पाठ तो नहीं।।"
"जाना है तो जाओ तुम,
राग अपने कहीं और सुनाओ तुम।।"
"शिकवा तो नहीं ऐ जिन्दगी तुझसे।
बस नाराज हूँ जो चाहा वो मिला नहीं मुझे।।"
आप सर्वश्रेष्ठ हैं वैसे ही रहें।
Behave yourself as you are.
Be best friend of yours,
Noone can help you as you can
"No matter,
How much you suffered,
Struggled,
Or
Tolerated.
As time does matter.
मेरी आवाज सुरीली नहीं,
पर गीत मैं सुर में गाऊँ।
क्या लिखा है पता नहीं,
पर जो लिखा सुनाता जाऊँ।।
गये जो तुम छोङ,
दुख का दरिया रुका नहीं।
गये तुम बीच में छोङ,
पर मैं हारा नहीं।।
टुटा नहीं, रुका नहीं, झूका नहीं मैं।
शब्दों में हूँ बिखरा हुआ,
हारा नहीं हूँ मैं।।
ये एक पङाव है, सार नहीं।
मंजिल है दूर भले, ये जिन्दगी की हार नहीं।।
बोझ है ज़िन्दगी भारी,
पर मैने हिम्मत ना हारी।
कसमकस है क्षमता की रूकना मुझे आता नहीं।
एक पल को चैन मिला देख उसे,
वो ख्वाब आज भी बैचेन करता है मुझे।
माना की मेरा बचपन फिर ना मुस्कुरायेगा।
पर जिन्दगी का यौवन फिका ना जायेगा।।
मेरे मन के बोल अनसुने रह गये।
जो बोले थे वो बोल कहीं खोये से रह गये।।
मेरे जीवन के किस्सों को डायरी के पन्नों पर उकेरता आया हूँ।
मैं अपनी ज़िन्दगी के लम्हों को समेटता आया हूँ।।
- कविता रानी।
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